Sunday, 11 November 2018

दीन ए इस्लाम पर कायम रहने की दुआ



 
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
----------
✦ शाहर बिन हौशब रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की मैने उम्म सलमा रदी अल्लाहू अन्हा से पूछा की 
एह उम्मुल मोमीनीन रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वासल्लं आपके पास जब रहते तो अक्सर कौनसी दुआ किया करते थे , उन्होने जवाब दिया 
يَا مُقَلِّبَ الْقُلُوبِ ثَبِّتْ قَلْبِي عَلَى دِينِكَ
या मुक़ल्लिबल क़ुलुब सब्बित क़लबी अला दीनक
एह दिलों को फेरने वाले मेरे दिल को तेरे दीन पर क़ायम रख 
फिर फरमाने लगी की मैने रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम से अर्ज़ किया की आप अक्सर यही दुआ क्यूँ किया करते हैं , 
आप सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया एह उम्म सलमा रदी अल्लाहू अन्हा कोई शख्स ऐसा नही की उसका दिल अल्लाह की दो उंगलियो के बीच में ना हो 
वो जिसको चाहता है (हक़ पर) क़ायम रखता और जिसको चाहता है टेढ़ा कर देता है (इसलिए हमको ये दुआ माँगते रहना चाहिए)
जामिया तिरमिज़ी, जिल्द 2, 1446 –सही


from Quran Aur Hadees https://ift.tt/2Pp8Z0j

No comments:

Post a Comment